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गलत जानकारी और अफवाहों ने 60,000 रूसी चिनार के पेड़ों को कश्मीर में Covid -19 का शिकार बना दिया,

आजकल सुनने में आ रहा है कि जम्मू कश्मीर में करोना वायरस के बहाने लगभग 60,000 पेड़ों की आहुति दी जा रही है ,
जिससे वहां विकास की नींव रखी जा सके और कंक्रीट के जंगल बनाए जा सके , जो कि सरकार के एक कपट प्रबंध का नमूना है वहीं पर, अंजार खुरु वनस्पति वैज्ञानिक के अनुसार इन पेड़ों से करोना वायरस के फैलने का कोई भी डर नहीं है ।

सन्न 2014 में  एक अदालत के निर्देश के बाद सरकार ने ऐसे ही 26,000 पेड़ों को काट दिया। अदालत एक याचिका पर काम कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि पराग श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
लेकिन एक स्थानीय मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने इसे अतिरंजित दावा बताया ।

मनुष्य ने विकास के नाम पर विकसित पेड़ों को उखाड़ दिया जिससे वन्य , कीट ,जीव, मिट्टी और पानी के बीच का प्राकृतिक चक्र असंतुलित हो गया !
मनुष्य के द्वारा  वनों और वन्यजीवों के बीच तेजी से बढ़ती दखलंदाजी को यदि आज नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में करोना से भी घातक महामारी पैदा हो सकती हैं , जिससे घोर विनाश हो जायेगा ।

यदि आज हम सभी एकजुट होकर शंखनाद के साथ, रोशनी के साथ तालियां बजाकर संकल्प लें कि हम अंधविश्वासों से परे हटकर जीवन को नया मोड़ देते हुए अपने चारों ओर प्रकृति को बचाएं एवं बनाए रखेंगे केवल तभी हम आने वाली महामारियों से बच सकते हैं और अपने आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन एवं स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सकते हैं।

जरा सोचिये ???

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