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आज एक वायरस ने पूरी दुनिया को ठहरा दिया हैं , जिससे सभी गतिविधियों के बंद होने से प्रदूषण में लगातार कमी आती दिखाई दे रही हैं।
ऐसे में गंगा को साफ करने के लिए शुरू किए गए ‘नमामि गंगे’ परियोजना पर काफी सवाल उठ रहे हैं।
बता दें कि गंगा को साफ करने के लिए पिछले कुछ सालों में नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange) शुरु की गई थी। इस योजना के तहद गंगा को साफ करने के लिए अब तक लगभग 7000 करोड़ रुपए भी खर्च किए गए लेकिन इस परियोजना की बजाए , लॉकडाउन की वजह से गंगा नदी का पानी ज्यादा स्वस्छ हो गया है।

नमामि गंगे जैसी कई परियोजनाएं में जिनके तहत नदियों के रखरखाव एवं सफाई हेतु कई हजार करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद नदियों के हलात में कोई खास परिवर्तन और सुधार नहीं हुआ था ।

वही आज इस वायरस के चलते सभी गतिविधियों जैसे (बड़ी मात्रा में अस्थियां, औद्योगिक अपशिष्ट, अपशिष्ट जल डंप किया जाता है और नदी को कई धार्मिक स्थलों से निकाला जाता है) ,और लॉकडाउन के चलते सभी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है, जिसकी वजह से सभी नदियों में एकाएक परिवर्तन दिखाई दे रहा हैं, साथ ही प्रदूषण का स्तर 40% तक कम हो चुका हैं ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा नदी की धारा में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ गया हैं और पानी की गुणवत्ता बेहतर हुई हैं।

सौजन्य : The Quint

इसका मतलब हमारी नीयत में ही खोट हैं कागजों पर सब ठीक-ठाक दिखाया जाता हैं परंतु नदियों में कारखानों से निकले खतरनाक अपशिष्ट रासायनिक तत्व लगातार नदियों में छोड़े जाते हैं।
एक ओर तो हम नदियों की पूजा करते हैं और दूसरी ओर इन्हें गंदा करते हुए हमें शर्म आनी चाहिए ।

क्या हम संकल्पबंद्ध होकर इसको नियंत्रित नहीं कर सकते ?

जरा सोचिये !!!

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