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…..जी हां यदि इरादे और नियत नेक हो

आज सारे विश्व में कोविड19 संक्रमण चल रहा है जिसके चलते कई देशों में लगभग बंद की स्थिति हो चुकी है या फिर लोगों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है लगभग सभी कारखाने भी बंद की स्थिति में ही हैं क्या जिस प्रकार कोविड 19 के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है थाली एवं रोशनी का प्रयोग करके शंखनाद के माध्यम से उन्हें एकजुट कर दृढ़संकल्पबद्ध किया जा रहा है क्या ठीक उसी प्रकार प्रकृति के असंतुलन की ओर लोगों का ध्यान नहीं खींचा जा सकता ?

आज मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का दोहन एवं शोषण और अतिक्रमण किया है जिसके कारण हर साल लगभग दो से तीन नए संक्रामक रोग विकसित होते दिखाई देते हैं जैसे इबोला कोरोना, हंता वायरस ,स्वाइन फ्लू ,चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू आदि 70 फ़ीसदी महामारियों का स्रोत वन्यजीव बन रहे हैं! कोरोना कहीं ना कहीं हमारी विलासी जीवन शैली का ही दुष्परिणाम है! हमने जैव विविधता को मिटाने के क्रम में खाद्य अखाद्य के बीच का फर्क मिटा दिया! चमगादड़ और पैंगोलिन जैसे जीवों के भक्षण वाली तामसी प्रवृत्ति ने पृथ्वी के साथ इंसानी सभ्यता का भी बेड़ा गर्क करने का काम किया है! अब समय है कि हम जागरूक हों और जिंदा जानवरों की दुनिया भर में सजने वाली मंडियों पर प्रतिबंध लगाएं !

आज समय आ गया है कि हम सभी जागरूक हों और औरों को भी जागरूक करें और प्लास्टिक के अति प्रयोग से धरती को बचाएं! प्लास्टिक धरती में मिलकर विनाशकारी हो रहा है! प्लास्टिक की थैलियों से संबंधित नये सख्त और विशेष कानून लागू किये जाने चाहिएं!

आओ आज हम सब मिलकर प्रतिज्ञा लें कि हम सब आज से प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेंगे और औरों को भी इसके प्रयोग के प्रति जागरूक करेंगे जिससेे प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखने में सहायता मिलेगी! तो आइये आज से हम प्रतिज्ञा करें कि हम अपनी जीवन शैली में ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग करेंगे!

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