आप सब को यह जानकारी हो रही होगी आजकल कोरोना वायरस जो महामारी की तरह पूरे विश्व में फैल चुका है । यह सोचने का विषय है, यह अति आवश्यक है क्योंकि इस पर ही आपका और आपके बच्चों का और आने वाली पीढ़ी का भविष्य निर्भर है।
चूंकि मनुष्य भी प्रकृति का ही एक अभिन्न भाग है ।
शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि मनुष्य ने प्रकृति का अपने लाभ के लिए बिना सोचे समझे शोषण किया जिसके कारण समूची धरती और प्राकृतिक वातावरण असंतुलित हो गया ।
यह संक्रमण विकसित स्थानो की ही देन है जहाँ मनुष्य ने प्रकृति की अवहेलना करते हुए अपने हित के लिए विकास के नाम पर पेड़ों को काट दिया जिस के कारण ग्रीनहाउस प्रभाव हावी हो गया और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया! पिछले पांच सालों में करोड़ों पेड़ काटे जा चुके हैं!
जरा सोचिए यदि आज नहीं जागे तो बहुत देर हो जाएगी, अमानवीय ढंग से पेड़ों को काट डाला गया और अभी भी काटा जा रहा है ,यह ठीक ऐसा ही होगा जैसे आपस में एक दूसरे की हत्या कर रहे हों |
खानापूर्ति के लिए सरकार के विभिन्न विभागों के द्वारा अनेकानेक वृक्षारोपण करने का दावा किया जाता है।
परंतु यह केवल कागजों पर ही रह गया है, शायद इसमें से कितने पेड़ आज जीवित हैं और क्या वास्तव में जो सरकार आकड़े देती है उनमें कितना सत्य है , पता लगाना बहुत कठिन है।
और यदि पेड़ लगाए गए कौन-कौन से पेड़ लगाए गए । प्रत्येक देश में उसकी जलवायु के अनुसार ही प्राकृतिक संपदा रहती है , जिससे उसका संतुलन बना रहता है , परंतु भारत में देखा जा रहा है कि यहां के पुराने पेड़ जैसे जामुन, बरगद ,पीपल ,पिलखन, पलाश, ढाक ,सागवान ,शीशम ,गूलर, लेसवा , टेट, आमरा आदि को ना लगा कर विदेशी पेड़ जैसे पाम ,फाइकस इत्यादि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है ।
यहां के पेड़ों में कुछ विशेषता तो है ही यदि इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों को ना काटा जाए पेड़ों के साथ साथ अपना भी विकास किया जाए , जो कि आज के तकनीकी युग में सर्वथा संभव है ,थोड़ा समय अधिक लग सकता है यदि हम सब जागरुक हो और आवाज़ उठाएं तो शायद रोज-रोज इन संक्रामक बीमारियों से शायद छुटकारा मिल जाए और आप सभी प्रयत्न करें प्लास्टिक की वस्तुओं का ना उपयोग किया जाए ।
आजकल सुनने में आ रहा है , दिल्ली जल बोर्ड अपने मेन पाइप जिससे घरों में पानी की सप्लाई होती है वहां पर उसे प्लास्टिक का कर रहा है,
जोकि हम सभी के लिए कैंसर आदि बीमारियों को आमंत्रण देना है 🙏🏻😰😭